Gyan Bharatam Mission 2025: भारत की पांडुलिपि धरोहर को संरक्षित करने की ऐतिहासिक पहल

भारत सरकार ने ज्ञान भारतम मिशन 2025 (Gyan Bharatam Mission 2025) की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य भारत की प्राचीन पांडुलिपियों (manuscripts) और ज्ञान परंपराओं का संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रसार करना है। इस मिशन के तहत 1 करोड़ से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियों का सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण किया जाएगा, जिससे भारतीय ज्ञान परंपरा को संरक्षित और आधुनिक अनुसंधान के लिए सुलभ बनाया जा सके।

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इसके अलावा, एक राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरी (National Digital Repository) स्थापित की जाएगी, जो भारतीय ज्ञान प्रणाली (Indian Knowledge Systems – IKS) को ऑनलाइन उपलब्ध कराएगी, ताकि शोधकर्ता, विद्यार्थी, और आम जनता इस बहुमूल्य विरासत का लाभ उठा सकें।

Gyan Bharatam Mission का संक्षिप्त विवरण

योजना का नामज्ञान भारतम मिशन 2025
घोषणा की गईभारत सरकार
उद्देश्यप्राचीन भारतीय पांडुलिपियों का संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रसार
लॉन्च वर्ष2025
मुख्य लाभार्थीशोधकर्ता, विद्यार्थी, इतिहासकार, भारतीय ज्ञान प्रणाली प्रेमी
संरक्षित सामग्री1 करोड़ से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियां
तकनीकी भागीदारीराष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरी और डिजिटल स्कैनिंग सुविधा
प्रमुख लाभभारतीय ज्ञान प्रणाली को संरक्षित और सार्वजनिक रूप से सुलभ बनाना

Gyan Bharatam Mission का उद्देश्य

  • भारत की प्राचीन ज्ञान परंपराओं को पुनर्जीवित और संरक्षित करना।
  • देशभर में 1 करोड़ से अधिक दुर्लभ और ऐतिहासिक पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण करना।
  • शोधकर्ताओं, छात्रों और आम जनता को भारतीय ज्ञान प्रणाली तक आसान पहुँच प्रदान करना।
  • भारतीय साहित्य, वेद, शास्त्र, ज्योतिष, आयुर्वेद, दर्शन, योग और अन्य पारंपरिक विषयों का संकलन और अध्ययन।
  • राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरी के माध्यम से ऑनलाइन ज्ञान को बढ़ावा देना और सूचना का प्रसार करना।

Gyan Bharatam Mission के प्रमुख लाभ

लाभविवरण
1 करोड़ पांडुलिपियों का डिजिटलीकरणदुर्लभ ग्रंथों और ऐतिहासिक दस्तावेजों को डिजिटल रूप में संग्रहित करना।
राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरीभारतीय ज्ञान परंपराओं के लिए एक समर्पित ऑनलाइन ज्ञान केंद्र।
अध्ययन और अनुसंधान को बढ़ावाशोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए संसाधनों को आसान बनाना।
सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षणप्राचीन भारतीय ज्ञान को भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना।
तकनीकी और डिजिटल समाधानपांडुलिपियों को स्कैन कर उन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराना।
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ज्ञान भारतम मिशन के तहत संरक्षित सामग्री

  1. वेद और शास्त्र – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद और अन्य धर्मशास्त्र।
  2. ज्योतिष और आयुर्वेद – प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति और खगोलशास्त्र।
  3. योग और ध्यान – योगसूत्र, ध्यान प्रणाली, और आध्यात्मिक ग्रंथ।
  4. इतिहास और पुराण – महाभारत, रामायण, भागवत पुराण, और अन्य पौराणिक ग्रंथ।
  5. दर्शनशास्त्र – न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा और वेदांत।
  6. अर्थशास्त्र और राजनीति – चाणक्य नीति, कौटिल्य अर्थशास्त्र, नीतिशास्त्र।
  7. संस्कृत साहित्य – कालिदास, भास, पाणिनि, और अन्य महान विद्वानों के ग्रंथ।

पात्रता मापदंड

  1. शोधकर्ता और विद्यार्थी – जो भारतीय ज्ञान परंपरा का अध्ययन और शोध कर रहे हैं।
  2. शैक्षणिक संस्थान – विश्वविद्यालय और शोध संस्थान जो इस परियोजना से जुड़ना चाहते हैं।
  3. संस्कृति प्रेमी और साहित्यकार – जो पांडुलिपियों के अध्ययन और संरक्षण में रुचि रखते हैं।
  4. डिजिटल आर्काइव विशेषज्ञ – जो डिजिटल स्कैनिंग और रिपॉजिटरी प्रबंधन में अनुभव रखते हैं।

ज्ञान भारतम मिशन में आवेदन कैसे करें?

ऑनलाइन प्रक्रिया

  1. आधिकारिक पोर्टल (जल्द लॉन्च होगा) पर जाएं।
  2. “ज्ञान भारतम मिशन पंजीकरण” विकल्प पर क्लिक करें।
  3. आवश्यक जानकारी और दस्तावेज़ अपलोड करें।
  4. फॉर्म को सबमिट करें और पंजीकरण संख्या प्राप्त करें।

ऑफलाइन प्रक्रिया

  1. नजदीकी सांस्कृतिक मंत्रालय कार्यालय या राष्ट्रीय पुस्तकालय में संपर्क करें।
  2. आवेदन फॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज़ जमा करें।
  3. स्वीकृति के बाद पांडुलिपि स्कैनिंग और अध्ययन की प्रक्रिया में भाग लें।

ज्ञान भारतम मिशन से जुड़े अन्य परियोजनाएं

  • राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी (NDL) – शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए डिजिटलीकृत संसाधन।
  • भारतीय ज्ञान प्रणाली मिशन (IKS Mission) – भारत की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करने की पहल।
  • संस्कृत संरक्षण योजना – प्राचीन भारतीय भाषाओं और ग्रंथों का अध्ययन।

FAQs | अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्न 1: ज्ञान भारतम मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: यह मिशन भारतीय पांडुलिपियों और ज्ञान परंपराओं का संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रचार करने के लिए शुरू किया गया है।

प्रश्न 2: इस योजना के तहत कितनी पांडुलिपियों का संरक्षण किया जाएगा?
उत्तर: योजना के तहत 1 करोड़ से अधिक दुर्लभ और ऐतिहासिक पांडुलिपियां संरक्षित की जाएंगी।

प्रश्न 3: क्या आम नागरिक भी इस योजना में भाग ले सकते हैं?
उत्तर: हां, शोधकर्ता, विद्यार्थी, शिक्षण संस्थान और सांस्कृतिक प्रेमी इस मिशन में शामिल हो सकते हैं।

प्रश्न 4: इस मिशन के तहत कौन-कौन से ग्रंथ डिजिटाइज़ किए जाएंगे?
उत्तर: वेद, उपनिषद, पुराण, इतिहास, दर्शनशास्त्र, आयुर्वेद, और अन्य पारंपरिक भारतीय ग्रंथ इस योजना में शामिल होंगे।

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